Bhootni ki kahani। 2024 में बच्चो के लिए भूत की कहानी।

यदि आप छोटे बच्चे है, तो आपको आपकी दादी या नानी जरुर Bhootni ki kahani सुनाती होगी, और आज के इस लेख में हम भी आपको भूत की कहानी सुनायेंगे, इसलिए इस लेख को पूरा लास्ट तक जरू पढ़े।

कुछ लोग होते है, जो भूतो की कहानी सुनकर डर जाते है, लेकिन कुछ ऐसे लोग भी होते है, जो जिनको Bhootni ki kahani पढने में काफी मजा आता है, कुछ बच्चो ने मुझसे कहा कि भैया आप चुड़ैल की कहानी के बारे में हमारे बताओ।

इसलिए आज के इस लेख की मदद से हम ढेर सारी भूतो की कहानी के बारे में जानेंगे, इस पोस्ट में हम आप ससी बच्चो को मजेदार भूत की कहानी, और डरपोक भूत की कहानी भी सुनायेंगे।

तो चलिए अब बिना समय को गंवाए, सबसे डरावनी भूत की कहानी के बारे में जानते है,  और यदि आपको यह भूतो की कहानी अच्छी लगती है, तो इसे अपने दोस्तों को भी भेजे।

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Bhootni ki kahani। मजेदार भूत की कहानी। horror stories for kids

 

यह आर्टिकल आपको कुछ रोचक और डरावनी भूत कहानियों के साथ पेश करेगा, जिनमें आपको विश्व अपराधी और अत्यंत घटनाओं के दुनिया की खोज करने का मौका मिलेगा।


1. डर की दुकान का राज़। Short horror stories in hindi 

हमारी पहली कहानी एक छोटे से गांव के एक अजीब और डरावने परिसर के चारों ओर घूमती है। वहां पर एक अजीब दुकान थी, जिसमें भूतों से संबंधित सामग्री बेची जाती थी। गांववाले कहते थे कि उस दुकान का मालिक खुद एक भूत है।

एक दिन, गांव का एक साहसी युवक नामक पवन ने वहां जाने का फैसला किया। वह दुकान पहुंचकर बेहद हैरान था क्योंकि वह दुकान में किताबों, जड़ूओं, और आवश्यकता से ज्यादा अजीब सामग्री देख रहा था।

आर्यन ने धीरे-धीरे दुकान के मालिक से बात की, जो एक बड़े और काले कपड़ों में ढके हुए थे। मालिक ने पवन को एक किताब दिया और कहा, “इस किताब में सब कुछ लिखा है, जानने के लिए पढ़ लो।” जब पवन वह किताब पढ़ने लगा, तो उसे वाकई हैरानी हुई।

किताब में लिखा था कि दुकान के मालिक कई सदियों से एक भूत के रूप में जिंदगी जी रहे हैं और वह दुकान के माध्यम से लोगों की मदद करते हैं।

यह कहानी हमें यह सिखाती है कि डर के पीछे अक्सर एक रहस्यमय सच छिपा होता है और हमें उसे समझने के लिए साहसी बनना पड़ता है।


2- भूतिया अस्पताल का राज। Short horror stories in hindi 

यह कहानी है एक बीमार आदमी की, जिसने एक भूतिया अस्पताल का राज जानने का फैसला किया। उसकी यात्रा उसे कुछ ऐसा दिखाई दिया, जिससे वह हैरान और बेहद डरे हुए थे।

जब वह अस्पताल पहुँचा, तो वहां कुछ अजीब चीजें देखी, जैसे कि अदृश्य हाथी, डरावने आवाजें, और अस्पताल की मरीजों के साथ होने वाली अत्यंत घटनाएं। उसके साथ हुए रहस्यमय और भूतिया घटनाओं ने उसकी आत्मा को कैसे परेशान किया?

क्या वह अस्पताल के राज को खोज कर पाएंगे और उसकी यात्रा का मकसद सफल होगा? यह कहानी हमें यह बताती है कि कभी-कभी हमारी जिंदगी में अजीब और अदृश्य चीजें हो सकती हैं, जो हमें समझने की कोशिश करनी चाहिए।


3- भूतिया गाँव की रात। horror stories for kids in hindi

यह कहानी हमें एक यात्री की यात्रा के बारे में बताती है, जो एक छोटे से गांव में रात बिताने का फैसला करता है। उस गांव की रात किस तरह से भूतों के साथ बदल जाती है, यह कहानी बताती है।

यात्री नामक अर्जुन ने वहां पहुँचकर रात को गांव में घूमने का फैसला किया। वहां पर अजीब घटनाएं और आवाजें सुनाई देने लगीं, जिनमें से कुछ अत्यधिक भयानक थीं।

अर्जुन ने किस तरह से उस गांव के भूतों की बातों का सामना किया और कैसे वहां के रहस्यों को सुलझाया, यह कहानी हमें बताती है।


4- खौफनाक बन्दरगाह की भूतिया कहानी। horror story in hindi for kids

अख़्बारों और किताबों में हमने सुना है कि भूतिया बन्दरगाहें आवासी होती हैं और वहां पर अत्यंत डरावनी घटनाएं होती हैं। यह कहानी हमें एक बचपन की याद दिलाती है, जब हमने बन्दरगाह की कहानियां सुनी थी।

एक छोटे बच्चे नामक वीर ने अपने दोस्तों के साथ एक भूतिया बन्दरगाह में रात बिताने का फैसला किया। जब वे वहां पहुँचे, तो उन्होंने अपने खुद के हिरो बनने की कोशिश की, लेकिन उनकी मजेदार और खौफनाक कहानी आपको हंसी और डर के साथ रुला देगी।


इन भूत कहानियों के माध्यम से हमने देखा कि डरना और हंसना हमारे जीवन का हिस्सा है। ये कहानियां हमें यह सिखाती हैं कि आत्मा की दुनिया में अजीब और रहस्यमय चीजें हो सकती हैं।

जिन्हें हमें समझने का प्रयास करना चाहिए। आइए, डर के साथ और भी अधिक रोचक कहानियों का आनंद लें और आत्मा की दुनिया में एक नया सफर तय करें।

5- अजनबी जगह का भूतिया लैंड। kids horror story in hindi

हमारी दूसरी कहानी हमें एक यात्री की यात्रा के साथ ले जाती है, जिनमें उन्होंने एक अजनबी जगह का भ्रमण किया।

यात्री नामक वरुण अपने साथ अपने दोस्तों के साथ एक लैंड के लिए यात्रा पर निकला। वहां पर लैंड के बेहद हिलोरी और भूतिया होने की खबर सुनी थी।

वरुण और उसके दोस्त जब वहां पहुँचे, तो उन्होंने अपनी आंखों के सामने कुछ ऐसा देखा जो उनकी रूह को कांप उठा। जंगल के आंधार में छिपे खौफनाक घटनाओं का सामना करना पड़ा, जिनमें अत्यंत और अजीब घटनाएं शामिल थीं।

क्या वरुण और उसके दोस्तों ने वन्डरलैंड के रहस्यमय दुनिया को सुलझा पाएंगे? क्या वहां की भूतों की असली कहानी क्या थी? यह कहानी हमें यह बताती है कि।

अजनबी स्थलों का खोजना कितना रोचक हो सकता है, लेकिन वहां के रहस्यों का समाधान करने के लिए साहस और समझदारी की आवश्यकता होती है।

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चुड़ैल की कहानी। जंगल की चुड़ैल। horror stories in hindi for reading

एक दिन की बात हैं,

ठंड का समय था घना कोहरा छाया था सारे लोग जल्दी कार्यालय का काम ख़त्म करके घर की तरफ निकल रहे थे ! नाना जी उस समय के बड़े अधिकारियों मे से एक थे ! वे उस समय के उच्च वर्ग के लोगों मे एक अमीन का काम करते थे।

रोज की तरह ही उस दिन कम ख़त्म होने के बाद घर के लिए अपनी गाड़ी से रवाना होने लगे ! रास्‍ते में उन्हे हाट से कुछ समान भी लेना था तो वे और साथियों से अलग हो गये ! उन्होने घर की कुछ जरूरत के समान लिए और गाड़ी आगे बढ़ा दी।

आगे जाने पर उन्हे कुछ मछली बाज़ार दिखा और वे मछली खरीदने के लिए रुक गये ! ताज़ी मछलियाँ लेने और देखने मे टाइम ज़्यादा ही गुजर गया।

उनकी जब अपनी घड़ी पर नज़र गई तो उन्हे आभास हुआ की आज तो घर जाने मे बहुत देर हो जाएगी और ये सब लेकर घर पहुचने मे काफ़ी समय लग जाएगा।

फिर यही सब सोच कर उन्होने सोचा कि क्यू ना जंगल के रास्ते से निकला जाए तो जल्दी पहुँच जाउँगा ! तो उन्होने अपना रास्ता बदला और जंगल की तरफ़ अपनी गाड़ी को घुमा लिया।

समय ११ बज चुका था गाड़ी तेज रफ़्तार से आगे बढ़ रहां था तभी अचनाक तेज ब्रेक के साथ गाड़ी को रोकना पड़ा ! उनकी गाड़ी के आगे एक औरतज़ोर २ से रो रही थी।

उन्होने सोचा इस वीराने मे ये औरत क्या कर रही हैं उन्हे लगा की कोई मजदूर की पत्नी होगी जो नाराज़ होकर घर छोड कर जॅंगल मे भाग आई हैं।

तो उन्होने उससे पूछा की यहाँ जॅंगल मे तुम क्या कर रही हो? लकिन उसने कोई जवाब न देकर और ज़ोर २ से रोने लगी! सारे जंगल मे उसकी हूँ हूँ सी सिसकियाँ गूँज रही थी! फिर नाना जी ने पूछा तुम्हारा घर कहाँ हैं।

लेकिन वो कुछ भी ना बोली! तब नाना जी ने कहा की आज चलो मेरे घर मे रहना सुबह अपने घर चली जाना ये जॅंगल बहुत सारे जंगली जानवर से भरा हे रात भर यहाँ मत रूको चलो आज मेरे घर मे सब के लिए खाना बना देना और कल सुबह अपने घर चली जाना ! उसने ये सुना तो झट से तैयार हो गई।

और गाड़ी मे पीछे की सीट पर बैठ गई! सिर मे बड़ा सा घूँघट डालने की वजह से उसका चेहरा छिपा हुआ था ! कुछ ही देर मे गाड़ी घर के दरवाजे पे थी।

घर के लोग कब से उनकी राह देख रहे थे ! गाड़ी रुकते ही पापा ने पूछा आज तो बहुत देर हो गई और सारे लोग आ भी चुके हैं।

तब उन्होने सारी बातें अपनी माँ को बताई और कहा की आज खाना इससे बनवा लो कल सुबह ये अपने घर चली जाएगी! इतनी रात को बेचारी जंगल मे कहा भटकती।

इसलिए मैं ले आया ! पर पापा को कुछ संदेह हो रहा था की कहीं चोर तो नहीं हे रात को सोने के बाद या खाना बनाते समय कहीं घर के सामान ही चुरा कर ना ले जाए! पर बेटे की बात को कैसे माना करती।

उन्होने उस औरत को कहा देखो आज तो मैं रख ले रही हूँ लेकिन कल सुबह होते ही यहाँ से चली जाना! और जाओ रसोई मे ये समान उठा कर ले जाओ और खाना बना दो।

उसने फिर से जवाब नहीं दिया ! बस हूँ हूँ हूँ की आवाज बाहर आयी ! और वो सारा सामान लेकर माँ के पी छे बहुत दूर चल दी! रसोई मे सारा सामान रखवा कर माता जी ने उसे खाना जल्दी बनाने की सख्‍त हिदायत दी! और वहाँ से चली गई।

लेकिन उनका मन कुछ परेसान सा था ! फिर १० मिनट मे रसोरे मे उसे देखने चली गई की वो क्या कर रही हे और उसका चेहर भी देखना चाहती थी।

लेकिन वहाँ पहुची तो देखा की वो मछलियों का थैला निकल रही थी! उन्होने बहुत ज़ोर से गुस्से मे कहा यहाँ सब खाने का इंतजार कर रहे हे।

और तुम अभी तक मछलियाँ ही निकल रही हो कल सुबह तक बनाओगी क्या? उसके सिर पर घूँघट अभी भी था तो चेहरा देखना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन था।

उन्होने उससे कहा तुम जल्दी से खाने की तैयारी करो मैं आग सुलगा देती हूँ काम जल्दी हो जाएगा ! और वे जल्दी से चूल्हा जलाने की तैयारिया करने लगी।

लेकिन साथ ही वो उसका चेहरा देखने की भी कोशिश कर रही थी ! लेकिन वो जितना देखने की कोशिश करती वो और पल्लू खींच लेती! अंत मे हार कर वे बोली देखो मैने आग सुलगा दी हैं अब आगे सारा काम कर लो।

कुछ ज़रूरत हो तो बुला लेना ! लेकिन वो फिर कुछ नहीं बोली ! अब उन्हें लगा की यहाँ से जाने मे ही ठीक हैं ! वरना मेरा भी समय खराब होगा और हो सकता हैं अंजान लोगों से डर रही हो।

ये सब सोच कर उन्होंने उसे कहा की मैं आ रही हूँ जल्दी से खाना बना कर रखना ! और वहाँ से निकल गई ! मन अभी तक परेसांन ही था।

कभी अपने कमरे कभी बच्चों के कभी बाहर सब को देख रही थी, कहीं कुछ अनहोनी ना हो जाए! एक मिनट भी आराम से नहीं बैठ पाई।

अभी पाँच मिनट ही हुए थे पर उनके लिए वो घड़ी पहाड़ सी हो रही थी ! समय बीत ही नहीं रहा था ! आठ मिनट बड़ी मुश्किल से गुज़रे और वे तुरंत ही कुछ सोच कर रसोरे की तरफ दौड़ी ! और वहाँ पहुँच कर आया जैसे ही उन्होने रसोई घर का नज़ारा देखा , उनकी आँखे फटी की फटी रह गई।

उनके पैर बिल्कुल ही जम गये ना उनसे आगे जाया जा रहा था ना ही पीछे ! उनके हृदय की धडकने रुक रही थी ! वो औरत रसोरे मे बैठ कर सारी कच्ची मछलिया खा रही थी।

सारे रसोरे में मछलियाँ और खून बिखरा पड़ा था ! उसके सिर से घूँघट भी उतरा पड़ा था ! इतना खौफनाक चेहरा आज तक उन्होने नहीं देखा था ! बाल, नाख़ून सब बढ़े हुए थे।

मछलियाँ खाने मे मगन होने की वजह से उसे कुछ ध्यान भी नहीं था ! और खुशी से कभी २ वो आवाज़े भी निकल रही थी ! हूँ हूँ सी आवाज़े गूँज रही थी।

रसोरा पिछवारे मे होने की वजह से और लोगों का ध्यान भी इधर नही आ रहा था ! माँ को भी कुछ नहीं समझ आ रहा था , कि चिल्लाने से कहीं घर के लोगों को नुकसान ना पहुचाए।

वो चुड़ैल से अपने घर को कैसे बचाए उन्हे समझ नहीं आ रहा था ! बस भगवान का नाम ही उनके दिमाग़ मे आ रहा था ! अचानक वे आगे बढ़ने लगी उसकी तरफ।

और झट से एक थाल लिया और चूल्‍हे की तरफ दौड़ी ! उस चुरैल की नज़र भी पापा पर पड़ चुकी थी सो वो भी कुछ सोच कर उठी अपनी जगह से ! माँ कुछ भी देर नहीं करना चाहती थी।

उन्हे पता था की आज अगर ज़रा सी भी लापरवाही हुई तो अनहोनी हो जाएगी ! उस चुरैल के कुछ करने से पहले ही उन्हे चूल्‍हे तक पहुचना था ! और चूल्‍हे के पास पहुँच कर उन्होने जलता हुआ कोयला थाल मे भर लिया ! और चुड़ैल की तरफ लेकर जोर से फेंका ! आग की जलन की वजह से वो अजीब सी डरावनी आवाज़े निकालने लगी।

अब तो उसकी आवाज़े बाहर भी जा रही थी सारे लोग बाहरसे रसोरे की तरफ भागे ! वो चुड़ैल ज़ोर से हूँ हूँ जोर की आवाज़ निकल रही थी और पूरे रसोरे मे दौड़ रही थी।

और माता जी को पकड़ना भी चाह रही थी ! लेकिन अब सारे लग रसोरे मे आ चुके थे काफी लोगों की भीड़ देख कर वो और भी डर गयी थी।

लोंगों की भीड़ को थेलती हुई वो बाहर जॅंगल की तरफ भाग गये और सारे लोग ये मंज़र देख कर डरे साहमे से खड़े थे ! और मन हीं मन माता जी की हिम्मत की दाद दे रहे थे तो ऐसे छूटा चुरैल से पीछा।

समाप्त!

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भटकती आत्मा की सच्ची कहानी। best horror story in hindi

भूत-प्रेत के किस्से सुनने में बेहद रोमांचक और दिलचस्प लगते हैं लेकिन क्या हो जब यह किस्से सिर्फ किस्से ना रहकर एक हकीकत की तरह आपके सामने आएं।

आज की युवा पीढ़ी भूत और आत्माओं के होने पर विश्वास नहीं करती लेकिन जिस पर आप विश्वास नहीं करते वह असल में है ही नहीं यह तो संभव नहीं है ना. आज हम ऐसे ही भूतहा स्थान से आपका परिचय करवाने जा रहे हैं।

जिसके बारे में कहा जाता है कि इसका निर्माण स्वयं एक आत्मा ने किया था. जोधपुर (राजस्थान) स्थित बावड़ियों के किस्से स्थानीय लोगों में बहुत मशहूर हैं।

यहां पानी की कई बावड़ियां हैं जिनमें से एक के बारे में कहा जाता है कि उसे भूत ने बनवाया था.जोधपुर से लगभग 90 किलोमीटर दूरी पर स्थित ‘रठासी’ नाम का एक ऐतिहासिक गांव है।

मारवाड़ के इतिहास पर नजर डालें तो यह ज्ञात होता है कि जब जोधपुर में रहने वाले राजपूतों की चम्पावत शाखा का विभाजन हुआ तो उनमें से अलग हुए एक दल ने कापरडा गांव में रहना शुरू किया।

लेकिन इस स्थान पर रहने वाले युवा राजपूत राजकुमारों ने गांव में साधना करने वाले साधु-महात्माओं को परेशान करना शुरू कर दिया।

उन राजकुमारों से क्रोधित होकर साधुओं ने उन्हें श्राप दे दिया कि उनके आने वाली पीढ़ी इस गांव में नहीं रह पाएगी.साधुओं के श्राप की बात जब राजकुमारों ने अपने घर में बताई तो सभी भयभीत हो गए और उस गांव को छोड़कर चले गए।

इस गांव को छोड़कर वह जिस गांव में रहने के लिए गए उस गांव का का नाम है रठासी गांव. यह जोधपुर से लगभग 90 किलोमीटर की दूरी पर स्थित एक ऐतिहासिक गांव है.इस गांव में एक बावड़ी है।

जिसके बारे में कहा जाता है कि वह भूतों के सहयोग से बनी है अर्थात उस बावड़ी को बनाने में भूत-प्रेतों ने गांव वालों की सहायता की थी।

ठाकुर जयसिंह के महल में स्थित इस बावड़ी को देखने के लिए लोग दूर-दूर से आते हैं. इस बावड़ी के विषय में यह कहानी प्रचलित है कि एक बार जब ठाकुर जयसिंह घोड़े पर सवार होकर जोधपुर से रठासी गांव की ओर जा रहे थे तब रास्ते में ठाकुर साहब का घोड़ा उनके साथ-साथ चलने वाले सेवकों से पीछे छूट गया और इतने में रात हो गई।

राजा का घोड़ा काफी थक चुका था और उसे बहुत प्यास लगी थी. रास्ते में एक तालाब को देखकर ठाकुर जयसिंह अपने घोड़े को पानी पिलाने के लिए ले गए।

आधी रात का समय था घोड़ा जैसे ही आगे बढ़ा राजा को एक आकृति दिखाई दी जिसने धीरे-धीरे इंसानी शरीर धारण कर लिया. राजा उसे देखकर डर गया, उस प्रेत ने राजा को कहा कि मुझे प्यास लगी है लेकिन श्राप के कारण मैं इस कुएं का पानी नहीं पी सकता।

राजा ने उस प्रेत को पानी पिलाया और राजा की दयालुता देखकर प्रेत ने उसे कहा कि वह जो भी मांगेगा वह उसे पूरी कर देगा.राजा ने प्रेत को कहा कि वह उसके महल में एक बावड़ी का निर्माण करे और उसके राज्य को सुंदर बना दे।

भूत ने राजा के आदेश को स्वीकारते हुए कहा कि वो ये कार्य प्रत्यक्ष रूप से नहीं करेगा, लेकिन दिनभर में जितना भी काम होगा वह रात के समय 100 गुना और बढ़ जाएगा. उस प्रेत ने राजा को यह राज किसी को ना बताने के लिए कहा।

इस घटना के दो दिन बाद ही महल और बावड़ी की इमारतें बनने लगीं. रात में पत्थर ठोंकने की रहस्यमय आवाजें आने लगीं, दिन-प्रतिदिन निर्माण काम तेज गति से बढ़ने लगा।

लेकिन रानी के जिद करने पर राजा ने यह राज रानी को बता दिया कि आखिर निर्माण इतनी जल्दी कैसे पूरा होता जा रहा है।

राजा ने जैसे ही यह राज रानी को बताया सारा काम वहीं रुक गया. बावड़ी भी ज्यों की त्यों ही रह गई. इस घटना के बाद किसी ने भी उस बावड़ी को बनाने की कोशिश नहीं की।

समाप्त!

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पीपल वाला भूत की कहानी। horror story for kids in hindi

मेरे गाँव से एक किलोमीटर दूर एक बड़ा सा पीपल का पेड़ है।

वह एक विशाल पेड़ है जिसकी शाखाएं लम्बी-लम्बी और ऊपर से नीचे की और आकर ऊपर की ओर मुडी हुई मोर के आकर की है! वह पेड़ देखने मैं इतना भयानक लगता है कि मेरे तो उस दिन कि घटना के बाद रोंगटे खड़े हो जाते हैं।

उस पेड़ की शाखाएं कम से कम आधे बीघे मैं फेली हुई हैं! शायद तुम लोगों मैं से कोई मानता हो या न मानता हो लेकिन मैं ज़रूर मानता हूँ की भूत चुडेल आत्मायें होती है! हर गली हर चौराहे पर ऐसी बुरी आत्मायें होती हैं!वो तक तक नहीं हमे दिखती जब तक वो हमे दिखना नहीं चाहती हैं।

यह आत्मायें जब दिखती हैं जब किसी की राशि उस आत्मा से मिल जाये दिखती हैं ! मैं तुम्हीं एक ऐसी हकीक़त की कहानी बताने जा रहा हूँ।

जिस को मैं याद करते ही मेरे रोयें खड़े हो जाते हैं अब मैं आपको उस घटना के बारे मैं बताता हूँ की मैं ओर मेरे दोस्त उस पीपल के पेड़ पर खेलने जाया करते थे उस पेड़ की सखाओं पर हम झूले की तरह झूला करते थे।

उस पेड़ की छाया इतनी घनी थी की सारे पंछी उसी पे बैठा करते थे ओर हम लोग गर्मियों मैं उस पर जा के झूलते थे बड़ा मजा आता था! वेसे उस पेड़ के बारे मैं लोग कहा करते थे कि उस पेड़ पर भूत रहते हैं! पर हम बच्चे कहाँ किसी की मानते थे! बस रोज खेलने को चल दिया करते थे।

एक बार की बात है दोपहर का समय था हम तीन दोस्तों ने मैं ओर मेरे दो दोस्त उस दिन जल्दी चले गए १२:०० बजे का समय था हम लोग वहां पहुँच गए।

ओर हम लोगो ने प्लान बनाया की हम लोग ऊँचाई पर जाके छिप जाते हैं ओर वो लोग आयेंगे तो हम लोग उन्हें भूत बनकर डराएंगे ओर हमने अपने-अपने पेन्ट मैं कुछ पत्थर भर के ऊपर चढ़ गए दोस्तों एक बात ओर बता दूं।

की उस पेड़ से दो KHET दूर एक कुआं था जिस पर कोई रहता नहीं था बस एक रस्सी ओर बाल्टी के सिवाय हम लोग जब खेल खेलकर थक जाते थे तो उस पर जा कर पानी पिया करते थे।

एक बजे का टाइम था जब हम लोग इंतज़ार कर के थक गए वो लोग नहीं आये तो हम मैं से एक ने कहा की चलो पानी पी कर आते हैं तो मैंने उन से कहा कि मुझे प्यास नहीं लगी है।

तुम लोग चले जाओ दोस्तों वो लोग उतर कर पानी पीने चले गए दोपहर का समय था सूर्य अपनी फुल तपन पर था! जोर- जोर से लू चल रही थी ओर हवा के गोल गोल झुण्ड बनकर धुल उड़ाते हुए आ जा रहे थे! आप लोग जानते होगे गाँव मैं इन हवा के गोलाकार को (दंदूरा) कहते हैं।

एक ऐसा ही हवा का गोला मैंने पीपल कि ओर आते हुए देखा बड़ी धुल उडाये हुए वो आया ओर पीपल के सारे पत्ते आवाज करने लगे खर खर ओर कुछ टूट के गिरने लगे धुल कि वजह से तो मेरी आंखें बंद हो गयी।

सारे पंछी उड़ गए एक दम मैंने जब आँखे खोली तो क्या देखता हूँ एक काली सी शक्ल का बड़े-बड़े बालों बाला और इतना डरावना इंसान मेरे सामने वाली डाली पर बेठा है एक दम मेरे डर के मारे हाथ छुट गए और मैं नीचे जा गिरा नीचे गिरते ही मैं बेहोश हो गया।

जब मेरी आंखे खुली तो देखा की मेरे दोस्त पानी पीकर लौट आये हैं मुझे उठा कर उन्होंने मुझे बिठाया नीचे पीपल के पत्ते काफी इकट्ठे हुए थे इस लिए मेरे ज्यादा नहीं लगी बस मेरे पैर से थोडा सा खून निकल आया था।

जब मेरे दोस्त ने पुछा की क्या हुआ तो मैंने उन्हें बताया कि अभी इस पेड़ पर मैंने भूत देखा है सारे दोस्त समझ रहे थे कि अजय हमे डराने की कोशिश कर रहा हे उन्होंने कहा लगता है।

तुझे प्यास लगी और तू ऊपर से इसलिए गिर गया है उन्होंने कहा जा तू पानी पीकर आ तब तक हम यही बेठे हैं! उनकी जिद कि वजह से मुझे पानी पीने जाना पड़ा मैं वैसे भी डरा हुआ था।

और मेरे हाथ पैर काँप रहे थे मैं मन ही मन मैं सोच रहा था कि बस आज मैं यहाँ से निकल जाऊं कल से मैं यहाँ नहीं आऊँगा मेने बाल्टी उठाई और कुए मैं डाल दी जैसे ही कुए मैं बाल्टी पहुंची एक दम से आवाज आई और वो आवाज ऐसे लग रही थी।

जैसे कोई पानी मैं बार बार कूद रहा हो मैं और डर गया जब कि रस्सी मैंने आराम से पकड़ राखी थी तो यह आवाज कैसी मैंने कुए मैं जहां कर देखा कुंए के पानी मैं मुझे वही चेहरा नजर आया एक दम से मैं पीछे हटा मुझसे कोई पीछे ऐसे टकराया कि मेरे तो होश उड़ गए और डर के मारे मेरे हाथ से रस्सी कुए मैं जा गिरी।

मैंने जैसे ही पीछे देखा वही भयानक शक्ल वाला आदमी खड़ा था मेरी तो आवाज बंद हो गयी उसके बड़े बड़े दांत लम्बे-लम्बे बाल दांत तो ऐसे जैसे कि साले ने कभी जिन्दगी मैं मंजन भी नहीं किया हो।

उसकी खाल जली हुई सी जैसे कि कोई जला हुआ इंसान इतना डरावना लग रहा था कि मैं तो बस मेरी आखे खुली थी बस शरीर मैं कोई जान नहीं थी बस मैं बेहोश हो के गिर पड़ा मेरे दोस्त सोच रहे थे कि यह अब तक क्यों नहीं आया।

५ मिनिट बाद जब मेरी आंखें खुली तो मैंने देखा कि मैं पीपल के पेड़ के नीचे पड़ा हूँ तो मैं और डर गया कि मैं यहाँ कैसे आ गया दोस्त मुझे उठा कर लाये थे जैसे ही मैं खड़ा हुआ देखा तो मेरे दोस्त खड़े हुए थे ओर कह रहे थे।

लगता है तेरी तबियत ठीक नहीं है तुझे पहले बताना चाहिए था हम पानी ले आते कहीं तू कुए मैं गिर जाता तो हमारे घर वाले तो हमे भी जान से मार देते मैंने उन्हें बताया कि मेरी तबियत ख़राब नहीं हैं मेने सचमुच भूत को देखा है।

उन लोगो को विश्वाश नहीं हो रहा था कि अजय जो कि कभी भी भूत के बारे मैं बोलते थे तो वो कहता था कि भूत नहीं होते मगर इसे आज हो क्या गया है! जो हर बात पे भूत-भूत लगाये हुआ है।

भाइयो अब तक २ बज चुके थे! हमारे दोस्तों का आने का समय हो गया था! मेरे दोस्त ने कहा चलोअब ऊपर चढ़ जाते हैं और उन लोगो को डराते हैं! मुझे डर तो लग रहा था।

पर मैं दोस्तो के साथ ज्यादा ऊपर नहीं बस थोड़ी ऊँचाई पर जाके बैठ गया जब वो लोग आये तो हमने पत्थर फेकने चालू किये और तब तक हुआ क्या जोर से एक (दंदूरा) हवा का झोका आया।

और सरे पीपल को उसने झकझोर दिया हम लोगो को लगा जैसे कि कोई उसे झकझोर के उखाड़ने कि कोशिश कर रहा हो मेरे दोस्तों ने समझा कि भूत है इस पेड़ पर और वो सारे लोग डर कर भाग गए।

ओर हम बड़े ही खुश हुए कि आज तो इन्हें हमने डरा ही दिया पर हमे क्या पता था कि वो कक्का (भूत) भी यह सब देख रहा है ओर उसने जोर से पेड़ को हिलाया।

जैसे ही मैंने मेरे दोस्तों ने यह सब देखा जल्दी-जल्दी उतरने लगे अब की बार तो उसकी आंखें लाल लाल दांत होठो से बहार हम वहां से भागे मैं तो डाली पकड़ के कूद पड़ा मेरे दोस्त जिस से लटका वो डाली टूट गयी।

ओर एक दम से नीचे गिरा मैंने उसे उठाया तक नहीं मैं वहां से भागा ओर मेरे दोस्त भी पीछे पीछे बस फिर तो हम ने मुड कर नहीं देखा घर आ के ही हमने दम लिया हमने देखा कि हमारा दोस्त नीरज नहीं दिख रहा है।

तो हमने उसे उधर से लेट आते हुए देखा वो आराम – आराम से आ रहा था उसकी आंखें लाल हाव भाव बदले हुए नज़र आ रहे थे हमने उनसे पुछा कि नीरज क्या हुआ।

तो उसने कुछ नहीं कहा बस हमारी तरफ ऐसी ही नजरों से वह देख कर चला गया ओर जाकर सीधे अपनी चबूतरे पर जा कर बेठ गया।

उसके हाव भाव बदले आवाज भारी सी हो गयी है! जब घर के सब लोगो ने उसे देखा ओर कहा कहाँ गए थे तुम लोग तब मेरे दोस्त सुरेश ने सारी बात बता दी।

तब हमारे चाचा जी ने कहा में हमेशा मन करता रहता हूँ इन लोगों को कि पीपल के पास मत जाया करो पर यह लोग मानते ही नहीं अब देखो इसका क्या हाल हुआ है।

अब जा कर भगत जी को बुला के ले आओ हमारे गांव मैं एक बाबा हैं शियाराम जो हनुमान के मंदिर मैं रहते हैं ओर पूजा करते हैं वो तंत्र मंत्र इन चीजो मैं माहिर हैं!इसलिए उन्हें लोग भगत जी के नाम से बुलाते हैं।

तब मैं जाकर मंदिर से भगत जी को बुलाया भगत जी ने मुझसे कहा कि पहले कुल्ला कर ओर जाकर हुनमान के मंदिर से (भभूत) राख ले कर आ तब मैंने राख ली तब तक भगत जी ने कुल्ला कर के अपना कमंडल (साधुओं के पास जो पानी पीने के लिए होता है)

उठाया ओर चल दिए ओर मैं उनके पीछे-पीछे चल दिया भगत जी वहां पहुंचे ओर पहुँचते ही सब समझ गए ओर कहा भाई तुम यहाँ क्या लेने आये हो।

वो चुप रहा कुछ बोला नहीं तब भगत जी समझ गए कि तू ऐसे नहीं बताएगा तब भगत जी ने धरती के पैर छूकर बैठ कर मुझसे राख माँगी मैंने उनको राख दे दी तब उन्होंने कुछ मंत्र बोला कर उस राख को उसके ऊपर फेख दिया।

ओर कुछ कमंडल से जल के छींटे मारे तक उसका कान पकड़ के बोले बता तुने इस लड़के को क्योँ पकड़ रखा ओर कौन है तू ओर कहाँ से आया है।

तब उसने बताया कि मैं पास के पीपल के पेड़ पर रहने वाला भूत हूँ यह लोग मुझे दोपहर के समय सोने नहीं देते थे इसलिए मैंने इनको डराया ओर इसको पकड़ लिया भगत जी बोले तू पीपल को छोड़ ओर कहीं दूर जंगल मैं चला जा ओर वो पीपल बच्चों के खेलने के लिए है।

पर मैं कहाँ जाऊंगा तब भगत जी ने कहा कि तू ऐसे हीओ चला जागेगा या फिर निकालूँ अपना बज्र ओर भगत जी की आखें लाल हो गयी तब भूत ने कहा आप मेरा कान छोड़ोगे तभी तो मैं जाऊँगा देख कितना अच्छा बच्चा है।

इतना जल्दी समझ गया एक दम नीरज हिला ओर वो नोर्मल हो गया जैसे कि अभी सोकर जगा हुआ है तब भगत जी ने कहा जाओ अब पीपल वाला भूत भाग चूका है अब तुम कभी भी जा कर उस पेड़ पर खेल सकते हो।

हाँ दोस्तों एक बात बताना मैं भूल गया ज भगत जी आँखों मैं जो चमक आई वो हनुमान जी थे ओर उन्ही ने कहा था कि मैं बज्र से मारू क्या तुझे।

तो प्रेम से बोलिए संकट मोचन हनुमान जी की जय तब से हम लोग भूतो पर विश्वाश करने लगे हैं ओर उनसे अब डर नहीं लगता जब भी डर लगे तो बोलना जय बजरंग बली की जय।

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निष्कर्ष- आज हमने क्या पढ़ा व सिखा-

आज के इस आर्टिकल की मदद से हमने कुछ Bhootni ki kahani आप लोगो के साथ शेयर की है, जिसमे हमने भूत की कहानी, और horror story in hindi के बारे में जानकारी दी है।

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