EID kyu manaya jata hai। सच में ईदगाह क्यों मनाया जाता है।

भारत के अन्दर बहुत से हमारे मुसलमान भाई ईद मनाते है, लेकिन क्या किसी को EID kyu manaya jata hai पता है, यदि नही तो आज के इस लेख को पढ़ने के बाद हर किसी को ईदगाह क्यों मनाया जाता है, इसके बारे में अच्छे पता चल सकेगा।

यदि आपके अगल-बगलमे मुस्लिम भाई रहते है, तो आपने देखा होगा, कि वह 1 महीने का रोजा रखते है,  ईद उल-फ़ित्र या ईद उल-फितर (अरबी: عيد الفطر) मुस्लमान रमज़ान उल-मुबारक के एक महीने के बाद एक मज़हबी ख़ुशी का त्यौहार मनाते हैं।

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जिसे ईद उल-फ़ित्र कहा जाता है। ये यक्म शवाल अल-मुकर्रम्म को मनाया जाता है। ईद उल-फ़ित्र इस्लामी कैलेण्डर के दसवें महीने शव्वाल के पहले दिन मनाया जाता है। इसलामी कैलंडर के सभी महीनों की तरह यह भी नए चाँद के दिखने पर शुरू होता है।

मुसलमानों का त्योहार ईद मूल रूप से भाईचारे को बढ़ावा देने वाला त्योहार है। इस त्योहार को सभी आपस में मिल के मनाते है और खुदा से सुख-शांति और बरक्कत के लिए दुआएं मांगते हैं। पूरे विश्व में ईद की खुशी पूरे हर्षोल्लास से मनाई जाती है।

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EID kyu manaya jata hai। ईदगाह क्यों मनाया जाता है।

भारत में ही नही, बल्कि पुरे विश्व में मुसलमानों का दो मुख्य त्यौहार है, जो जिसमे पहले नम्बर पर ईदगाह और दुसरे नम्बर पर बकरीद है।

यह मुसलमानों का त्यौहार ईद रमज़ान का चांद डूबने और ईद का चांद नज़र आने पर उसके अगले दिन चांद की पहली तारीख़ को मनाया जाता है। इस्लाम में दो ईदों में से यह एक है, दुसरी ईद उल जुहा या बकरीद कहलाती है।

पहली ईद उल-फ़ितर पैगम्बर मुहम्मद ने सन 624 ईसवी में जंग-ए-बदर के बाद मनायी थी। ईद उल फित्र के अवसर पर पूरे महीने अल्लाह के मोमिन बंदे अल्लाह की इबादत करते हैं, और रोज़ा रखते हैं।

इसके अलावा क़ुआन करीम कुरान की तिलावत करके अपनी आत्मा को शुद्ध करते हैं जिसका अज्र या मजदूरी मिलने का दिन ही ईद का दिन कहलाता है जिसे उत्सव के रूप में पूरी दुनिया के मुसलमान बडे हर्ष उल्लास से मनाते हैं।

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ईदगाह मनाने का मुख्य मकसद क्या है।

ईद उल-फितर का सबसे मुख्य मकसद यह है, कि इसमें ग़रीबों को फितरा देना वाजिब है जिससे वो लोग जो ग़रीब हैं मजबूर हैं, वह भी अपनी ईद मना सकें, और नये कपडे पहन सकें तथा समाज में एक दूसरे के साथ खुशियां बांट सकें, इसके अलावा फित्रा वाजिब होता है।

यह उनके ऊपर जो 52.50 तोला चाँदी या 7.50 तोला सोने का मालिक हो, और अपनी नाबालिग़ औलाद का सद्कये फित्र अदा करे जो कि इसे ईद उल फितर की नमाज़ से पहले करना होता है।

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ईद में 30 दिन उपवास के बाद क्या होता है।

जब 30 दिन के बाद मुसलमान भाइयो एवं बहनों का उपवास की समाप्ति होती है, तब उनके लिए ख़ुशी का कोई ठिकाना नही रहता है,

वह इस खुशी के अलावा इस ईद में मुसलमान अल्लाह का शुक्रिया अदा इसलिए भी करते हैं कि अल्लाह ने उन्हें महीने भर के उपवास रखने की शक्ति दी।

हालांकि उपवास से कभी भी मोक्ष संभव नहीं क्योंकि इसका वर्णन पवित्र धर्म ग्रन्थो में नही है। पवित्र कुरान शरीफ भी बख्बर संत से इबादत का सही तरीका लेकर पूर्ण मोक्ष प्राप्त करने के लिए सर्वशक्तिमान अल्लाह की पूजा करने का निर्देश देता है।

ईद के दौरान बढ़िया खाने के अतिरिक्त कपड़े भी पहने जाते हैं और परिवार और दोस्तों के बीच तोहफ़ों का आदान-प्रदान होता है। सिवैया इस त्योहार का सबसे मत्वपूर्ण खाद्य पदार्थ है जिसे सभी बड़े चाव से खाते हैं।

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ईद के समय मुसलमान का क्या फर्ज होता है।

ईद के दिन मस्जिदों में सुबह की प्रार्थना से पहले हर मुसलमान का फ़र्ज़ होता है कि वो दान या भिक्षा दे। इस दान को ज़कात उल-फ़ितर कहते हैं।

यह दान दो किलोग्राम कोई भी प्रतिदिन खाने की चीज़ का हो सकता है, जैसे-  आटा, या इनके बदले में पैसे, और इन्हें सबसे पहले हर एक ग़रीबों में बाँटा जाता है। 

ईदगाह का महत्व क्या है-

  1. ईद का पर्व खुशियों का त्योहार है, और यह इस्लाम धर्म का मुख्य त्योहार है।
  2. ईद के इस त्योहार को लगभग सभी धर्मों के लोग मिल जुल कर मनाते हैं।
  3. इस पर्व से पहले शुरू होने वाले रमजान के पाक महीने में इस्लाम मजहब को मानने वाले लोग पूरे एक माह रोजा (व्रत) रखते हैं।
  4. रमजान महीने में मुसलमानों को रोजा रखना अनिवार्य है, क्योंकि उनका ऐसा मानना है कि इससे अल्लाह प्रसन्न होते है।
  5. यह पर्व त्याग और अपने मजहब के प्रति समर्पण को दर्शाता है। यह बताता है कि एक इंसान को अपनी इंसानियत के लिए इच्छाओं का त्याग करना चाहिए।

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ईद उल फितर क्या है। और इसका महत्व क्या है।

  1. ईद उल फितर का निर्धारण एक दिन पहले चाँद देखकर होता है।
  2. चाँद दिखने के बाद उससे अगले दिन ईद मनाई जाती है।
  3. सऊदी अरब में चाँद एक दिन पहले और भारत मे चाँद एक दिन बाद दिखने के कारण दो दिनों तक ईद का पर्व मनाया जाता है।
  4. ईद एक महत्वपूर्ण त्यौहार है इसलिए इस दिन छुट्टी होती है।
  5. ईद के दिन सुबह से ही इसकी तैयारियां शुरू हो जाती हैं। लोग इस दिन तरह तरह के व्यंजन, पकवान बनाते है तथा नए नए वस्त्र पहनते हैं।

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आखिरी शब्द-  आज हमने क्या सिखा

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