आपने कई बार ट्रांसजेंडर का नाम सुना होगा, लेकिन आज के इस बढ़ते भारत की जनसँख्या में बहुत से लोग इसका नाम नहीं लेते है, लेकिन कई लोगो के मन में ट्रांसजेंडर क्या होता है. और transgender meaning in hindi क्या है, यह जरुर आता होगा।
यदि आप भी गूगल पर transgender hindi के बारे जानने के लिए सर्च किये है, और हमारी इस वेबसाइट पर विजिट किये है, तो आप बिल्कुल सही जगह पर आये है, क्योकि आज के इस लेख में हम ट्रांसजेंडर क्या होता है , और transgender meaning in hindi क्या है।
इन सभी सवालो के बारे में विस्तार से जानकारी देने वाले है, इसलिए आप सभी से निवेदन है, कि यदि आप भी ट्रांसजेंडर क्या होता है, और ट्रांसजेंडर से सम्बंधित कुछ महत्वपूर्ण सवालो के बारे में जानना चाहते है, तो इस लेख के अंत तक बने रहिये, आईये transgender in hindi के बारे में जानते है।
ट्रांसजेंडर क्या होता है। (transgender meaning in hindi)
भारत में बहुत से ऐसे लोग है, जो transgender meaning in hindi के बारे में अच्छे से जानते है, लेकिन कभी भी इसके बारे में पब्लिक में बात नहीं करते है,
क्योकि भारत में मुख्य दो ही जेंडर है, एक Male व दूसरा Female लेकिन आज हम एक ऐसे जेंडर के बारे में डिटेल में जानेंगे, जिसे हम ट्रांसजेंडर के नाम से जानते है, आईये अब ट्रांसजेंडर क्या होता है, और ट्रांसजेंडर का मतलब क्या होता है, विस्तार्पुवक जानते है।
ट्रांसजेंडर का अर्थ क्या होता है। (transgender meaning in hindi)
Transgender का हिंदी में अर्थ होता है “ट्रांसजेंडर” या “अन्यलिंगी” इसे हम आम भाषा में लेस्बियन, गे, बाईसेक्सुअल, इंटरसेक्स के नाम से भी जानते है, . यह एक ऐसा शब्द है जो उन लोगों के लिए प्रयोग किया जाता है जो अपने जन्म के लिए निर्धारित लिंग से अलग होते हैं, यह लोग ना ही पुरे Female होते है, और नाही और अपने दिमाग और भावनाओं के अनुसार अपनी असली पहचान को अपनाते हैं। इन लोगो को TG भी कहा जाता है।
ट्रांसजेंडर”, “हिजड़ा”, और “किन्नर” के अलावा, यहां कुछ अन्य हिंदी शब्द हैं जिनका उपयोग ट्रांसजेंडर व्यक्तियों को संदर्भित करने के लिए किया जा सकता है-
अल्पसंख्यक समुदाय के व्यक्ति- इसका अनुवाद “अल्पसंख्यक समुदाय के व्यक्ति” के रूप में किया जाता है और इसे ट्रांसजेंडर व्यक्तियों सहित सभी लिंग और यौन अल्पसंख्यकों के लिए एक समावेशी शब्द के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है।
किन्नर- इस शब्द का प्रयोग अक्सर ट्रांसजेंडर महिलाओं या हिजड़ों को संदर्भित करने के लिए किया जाता है, जो भारत में ट्रांसजेंडर लोगों का एक पारंपरिक समुदाय है।
हिजड़ा- इस शब्द का प्रयोग ट्रांसजेंडर महिलाओं या हिजड़ों के लिए भी किया जाता है, लेकिन कुछ लोगों द्वारा इसे अपमानजनक माना जा सकता है, इसलिए इसे सावधानी के साथ उपयोग करना महत्वपूर्ण है और केवल तभी जब व्यक्ति स्वयं इसका उपयोग करता है।
अनुपस्थित- यह गलत शरीर में होने की भावना को संदर्भित करता है और अक्सर इसका उपयोग ट्रांसजेंडर व्यक्तियों द्वारा अपने अनुभव का वर्णन करने के लिए किया जाता है।
लिंगानुपातीता- यह शब्द लिंग डिस्फोरिया को संदर्भित करता है, जो कि कुछ व्यक्तियों द्वारा उनकी लिंग पहचान और जन्म के समय सौंपे गए लिंग के बीच बेमेल होने के कारण अनुभव किया जाने वाला संकट है।
अक्सर देखा गया है, कि जो लोग ट्रांसजेंडर होते है, उनका कोई एक नाम नही होता है, उन्हें लोग उअप्र दिए गए नामो के द्वारा पुकारते है, लेकिन एक समाज में ऐसे करना बिल्कुल गलत है,
क्योकि भारत जैसे महान देश में हर किसी को सम्मान से रहने व अपने जीवन को व्यतीत करने का अधिकार है, और यदि ऐसे में किसी को उसके उपनामों से पुकारना हमारे व पुरे भारत देश के लिए आपत्तिजनक है
इसलिए आपको जब भी कही पर ट्रांसजेंडर लोग मिले जैसे- ( हिजड़ा, किन्नर) आप उनसे सम्मानजनक तरीको से पेश आये, सबसे अच्छा तरीका यह है कि हमेशा उन से पूछें कि वे कैसे संदर्भित होना पसंद करते हैं और आप सदैव उनकी इच्छाओं का सम्मान करते हैं।
थर्ड जेंडर क्या है। इसके अंतर्गत किसे रखा गया है।
थर्ड जेंडर एक गंभीर विषय है, जिसे समाज में बढ़ती तस्वीर में उठाया जा रहा है। इससे एक ऐसी समूह की पहचान होती है, जिसमें लोग या तो पुरुष या महिला नहीं होते हैं।
थर्ड जेंडर का अर्थ होता है कि वे लोग जो अपने जीवन में अपनी जाति या लिंग को लेकर संदेह रखते होते हैं और वे किसी भी विशिष्ट जाति या लिंग से नहीं जुड़ते हैं। थर्ड जेंडर व्यक्ति अपने अस्तित्व को जैसे वह होते हैं, उसे स्वीकार करते हुए अपने जीवन को जीते हैं।
थर्ड जेंडर लोग अपनी पहचान को समझाते हुए एक समुदाय बनाते हैं जो दूसरों से अलग होता है। यह समुदाय लोगों को एक ऐसी स्थिति में सहायता देता है जहां वे अपनी जीवन के अस्तित्व को समझ सकते हैं और दूसरों से संघर्ष नहीं करना पड़ता है।
थर्ड जेंडर एक बहुत विस्तृत शब्द है जिसमें अनेक विभिन्न पहलुओं को शामिल किया जाता है। कुछ थर्ड जेंडर व्यक्तियों को लड़के या लड़कियों से अलग महसूस होता है और वे अपने लिंग या जाति के संदेहों का सामना करते हुए अपनी पहचान में संदिग्धता रखते हैं।
कुछ अन्य थर्ड जेंडर व्यक्तियों के लिए, लिंग की बाहरी आवश्यकता नहीं होती है, और वे एक आध्यात्मिक या स्पिरिटुअल दृष्टिकोण से अपने अस्तित्व को समझते हैं।
थर्ड जेंडर के लोग विभिन्न भौतिक और भावनात्मक संदर्भों में भी होते हैं। कुछ लोग अपनी जाति या लिंग को बदलने के लिए हॉर्मोन या सर्जरी का उपयोग करते हैं, जबकि कुछ अन्य अपने अस्तित्व को समझने के लिए इन तकनीकों का उपयोग नहीं करते हैं।
थर्ड जेंडर के व्यक्तियों को समाज की ओर से अपनी पहचान और स्थिति के लिए संघर्ष करना पड़ सकता है। उन्हें अक्सर अलगाववादी, उपेक्षित और नापसंद माना जाता है।
थर्ड जेंडर व्यक्तियों की संख्या को अंतिम रूप से निर्धारित करना मुश्किल होता है, क्योंकि अधिकांश थर्ड जेंडर व्यक्तियां अपनी पहचान को लेकर खुलकर बात नहीं करती हैं।
उन्हें अपनी पहचान को लेकर स्वयं को शामिल करने के लिए समाज द्वारा स्वीकृति और समर्थन की आवश्यकता होती है। कुछ समाजों में थर्ड जेंडर व्यक्तियों की अस्तित्व को समझने और स्वीकार करने के लिए विभिन्न शब्द होते हैं।
जैसे कि, थाई भाषा में, थर्ड जेंडर व्यक्तियों को Lesbian, Gay, Bisexual, Transgender, Intersex, Queer-Questioning, Kathoey या Ladyboy कहा जाता है और फिजी में उन्हें “Fa’afafine” नाम से जाना जाता है।
ट्रांसजेंडर कितने प्रकार के होते है। (Types of Transgender)
ट्रांसजेंडर एक छत्र शब्द है जिसका उपयोग उन व्यक्तियों का वर्णन करने के लिए किया जाता है जिनके लिंग पहचान जन्म के समय उन्हें सौंपे गए लिंग से भिन्न होती है।
कई अलग-अलग प्रकार के ट्रांसजेंडर लोग हैं, जिनमें से प्रत्येक का अपना अनूठा अनुभव और चुनौतियाँ हैं। ट्रांसजेंडर लोगों के कुछ निम्न प्रकार हैं, जिसके बारे में निचे विस्तार से जानकारी दी है
पुरुष-से-महिला (MtF) ट्रांसजेंडर- वे व्यक्ति जो जन्म से पुरुष होते है, लेकिन उन्हें लडकियों वाले काम करना पसंद होता है, जैसे- लडकियों जैसे रहना, लडकियों के कपडे पहनना, इत्यादि, ऐसे काम होते है, जो महिलाए करती है, वह सभी काम ऐसे लोगो को करना पसंद होता है, ऐसे लोगो को हम Cross Dresser का नाम भी दे सकते है, और इन लोगो की पहचान लडकियों के रूप में की जाती है।
महिला-से-पुरुष (FtM) ट्रांसजेंडर- यह ऐसे व्यक्ति है, जो जिन्हें जन्म के समय महिला दी गई थी लेकिन वे पुरुष के रूप में पहचाने जालडकियों जैसे कपडे पहनना, या ते हैं।
नॉनबाइनरी ट्रांसजेंडर- ऐसे व्यक्ति जो पुरुष या महिला के रूप में अपनी पहचान नहीं कराते हैं, या जो पुरुष और महिला दोनों के रूप में पहचान करते हैं।
जेंडरक्वीर- ऐसे व्यक्ति होते है, जो पारंपरिक लिंग मानदंडों या भूमिकाओं के अनुरूप नहीं हैं, और पुरुष और महिला के संयोजन के रूप में पहचान किये जाते है, यह ना तो पुरुष होते है, या ना तो महिला होती है
टू-स्पिरिट- यह एक मूल अमेरिकी शब्द है, जो उन व्यक्तियों को संदर्भित करता ,है जो एक मर्दाना और स्त्री भावना दोनों के रूप में पहचान करते हैं।
हिजरा- दक्षिण एशिया में एक शब्द का प्रयोग उन व्यक्तियों का वर्णन करने के लिए किया जाता है जिन्हें जन्म के समय पुरुष का नाम दिया जाता है, लेकिन समय के साथ में इनकी पहचान न तो पुरुष के रूप में और न ही महिला के रूप में होती हैं।
इनके बारे में भी पढ़े-
2019- “ट्रांसजेंडर अधिकार संरक्षण अधिनियम” क्या है।
अक्सर ट्रांसजेंडर वो इंसान होते हैं, जिनका लिंग जन्म के समय तय किए गए लिंग से बिल्कुल मेल नहीं खाता। इनमें ट्रांस मेन, ट्रांस वीमन, इंटरसेक्स और किन्नर भी आते हैं।
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के मुताबिक इन लोगों के पास अपना लिंग निर्धारित करने का भी अधिकार होता है। ट्रांसजेंडरों को समाज में भेदभाव और हिंसा का सामना करना पड़ता है। इसको रोकने के लिए सरकार कानून बनाना चाहती है। इस बिल में ट्रांसजेंडरों की परिभाषा तय की गई है।
पहले लाए गए बिल के मुताबिक ट्रांसजेंडर व्यक्ति ऐसा व्यक्ति है जो ना तो पूरी तरह से महिला है और ना ही पुरुष। वह महिला और पुरुष, दोनों का संयोजन भी हो सकता है या फिर दोनों में से कोई नहीं।
इसके अतिरिक्त उस व्यक्ति का लिंग जन्म के समय नियत लिंग से मेल नहीं खाता और जिसमें ट्रांस-मेन (परा-पुरुष), ट्रांस-वीमन (परा-स्त्री) और इंटरसेक्स भिन्नताओं और लिंग विलक्षणताओं वाले व्यक्ति भी आते हैं।
इस बिल के मुताबिक ट्रांसजेंडर व्यक्ति वो है, जिसका जेंडर उसके जन्म के समय निर्धारित हुए जेंडर से मैच नहीं करता। इनमें ट्रांस-मेन, ट्रांस-विमन, इंटरसेक्स या जेंडर-क्वियर और सोशियो-कल्चर आइडेंटिटी जैसे हिजड़ा और किन्नर से संबंध रखने वाले लोग भी शामिल हैं। जबकि ट्रांसजेंडर समुदाय का कहना है कि हर व्यक्ति को लिंग पहचान करने का अंतिम अधिकार होना चाहिए।
इस अधिनियम से जुड़ी सबसे बड़ी समस्या यह है कि इसमें ट्रांसजेंडर आइडेंटिटी के लिए सर्टिफिकेट लेना होगा। इसके लिए डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट के पास आवेदन करना होगा।
जिसके बाद मेडिकल जांच होगी और फिर सर्टिफिकेट जारी किया जाएगा। इसमें एक रिवाइज्ड सर्टिफिकेट का भी प्रावधान है। ये केवल तब होगा, जब एक व्यक्ति जेंडर कन्फर्म करने के लिए सर्जरी करवाता है। उसके बाद सर्टिफिकेट में संशोधन होगा। इसे समुदाय अपने निजता के अधिकार के हनन के रूप में देख रहा है।
इस बिल का विरोध इसलिए भी हुआ, क्योंकि इसमें ट्रांसजेंडर्स को रिजर्वेशन के दायरे में नहीं रखा गया। जबकि सुप्रीम कोर्ट ने नालसा जजमेंट में समुदाय को ओबीसी का दर्जा देकर आरक्षण की बात कही थी लेकिन इस बिल में ऐसी कोई व्यवस्था नहीं की गई।
ग्रेस बानू, ट्रांसजेंडर एक्टिविस्ट का कहना है कि इस बिल में सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले को दरकिनार करते हुए हमें हमारे अधिकारों से वंचित कर दिया है। हमें काफी निराशा हो रही है। इस बिल के साथ सरकार ने साबित कर दिया, कि वो अल्पसंख्यकों के खिलाफ है।
ट्रांस एक्टिविस्ट विक्रम ने न्यूज़क्लिक से बातचीत में कहा, ‘ये बिल ट्रांस लोगों की हत्या करने जैसा है। ये बिल पूरी तरह से समुदाय के खिलाफ है। इस बिल को लेकर ट्रांस समुदाय ने तीन-चार राउंड में सुझाव दिए थे
लेकिन सरकार ने सबको नज़रअंदाज कर दिया। हमारे समुदाय के बिल को सरकार हमारे सुझाव के बगैर कैसे बना सकती है। हमारे लिए ये बिल केवल एक कोरा कागज़ है।
ये ट्रांस लोगों की जिंदगी बद्तर कर देगा। ये बिल सेल्फ-आइडेंटिफिकेशन राइट नहीं देता, जैसा कि 2014 के फैसले में कहा गया था। हमें आईडी कार्ड के लिए मजिस्ट्रेट के पास जाना होगा। अगर हमें आदमी या औरत का कार्ड चाहिए, तो मेडिकल ऑफिसर हमारे शरीर की जांच करेगा। ये अपने आप में अपमानजनक है।
इस बिल में ट्रांसजेंडर रिहैबिल्टेशन, सर्जरी, जनगणना 2019 का आधार को लेकर भी ट्रांसजेंडर समुदाय में खासा रोष है। समुदाय इसे अपने अधिकारों के खिलाफ मान रहा है। साथ ही सरकार का मंशा पर कई सवाल भी खड़े कर रहा है।
किन्नर और ट्रांसजेंडर में क्या अंतर है।
“किन्नर” और “ट्रांसजेंडर” दोनों ही समुदाय लिंगीय असंतुलन से ग्रस्त होते हैं, लेकिन इन दोनों के बीच एक महत्वपूर्ण अंतर है।
“किन्नर” शब्द भारतीय संस्कृति में उपयोग किया जाता है और इससे वह व्यक्ति ताकि जन्म से ही लिंग असंतुलन से प्रभावित हो गया हो। किन्नरों के बारे में भारतीय संस्कृति में विभिन्न कथाओं और मिथकों की कहानियां हैं। भारतीय कला और संस्कृति में उन्हें आकर्षक और उत्तम गायकों के रूप में दिखाया जाता है।
“ट्रांसजेंडर” शब्द विश्व के अन्य हिस्सों में उपयोग किया जाता है और इससे वह व्यक्ति ताकि जन्मजात लिंग से अलग होते हुए अपनी पहचान बदलता है। ट्रांसजेंडर शब्द लिंगीय असंतुलन के विभिन्न रूपों को संकेतित करता है जैसे कि लिंग परिवर्तन या अन्य चिकित्सीय उपचार जो इससे संबंधित हो सकते हैं।
भारत में ट्रांसजेंडर की स्थिति क्या है?
भारत में ट्रांसजेंडर समुदाय की स्थिति बहुत संवेदनशील विषय है। ट्रांसजेंडर व्यक्तियों को समाज के मार्ग से बाहर किया जाता है और वे दुर्भाग्य से जीवन जीने के लिए कम संभावनाओं के साथ लड़ने को मजबूर होते हैं। इसके अलावा, ट्रांसजेंडर लोगों के लिए उपलब्ध स्वास्थ्य सेवाएं भी कम हैं।
2014 में, सुप्रीम कोर्ट ने हिजड़ों, ट्रांसजेंडर और अन्य गेंडर नॉन-कनफॉर्मिंग व्यक्तियों के लिए “अनुपालन-मुक्त समाज” की अपील की घोषणा की। इस अपील के तहत, सरकार को अल्पसंख्यक समुदायों के लिए विशेष योजनाओं को शुरू करने के लिए निर्देश दिए गए थे।
2019 में, भारत सरकार ने ट्रांसजेंडर व्यक्तियों के लिए एक अलग राष्ट्रीय पहचान पत्र (आधार कार्ड) जारी किया। इससे पहले, ट्रांसजेंडर व्यक्तियों को वास्तविक रूप से आधार कार्ड के लिए रजिस्टर करवाने में कई समस्याएं थीं।
ट्रांसजेंडर समुदाय के लिए समाज में स्थान पाने में अभी भी कई समस्याएं हैं। ट्रांसजेंडर व्यक्तियों को आमतौर पर नौकरियों, शिक्षा और आर्थिक विकास से वंचित रखा जाता है। अधिकांश जगहों पर वे उन अधिकारों से वंचित रहते हैं जो अन्य लोगों को होते हैं।
भारत में ट्रांसजेंडर समुदाय के लिए कुछ ऐसे कानून हैं जो उन्हें संरक्षण प्रदान करते हैं। 2019 में, भारत सरकार ने ट्रांसजेंडर व्यक्तियों के लिए ट्रांसजेंडर विधेयक 2019 भी पारित किया है।
यह विधेयक ट्रांसजेंडर व्यक्तियों को उनकी आर्थिक, सामाजिक, राजनैतिक और सांस्कृतिक संरचनाओं में सम्मान देने और समानता की भावना को प्रोत्साहित करने के लिए निर्मित किया गया है।
इसके अलावा, कुछ नागरिक समुदाय और संगठनों ने ट्रांसजेंडर समुदाय के लिए अलग-अलग कार्यक्रम और योजनाएं शुरू की हैं जैसे कि उनकी शिक्षा के लिए ट्रांसजेंडर शिक्षा केंद्र और उनकी रोजगार के लिए एक सफल कदम उठाया है
ट्रांसजेंडर से सम्बंधित पूछे जाने वाले प्रश्न-
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Transgender in hindi?
Ans- ट्रांसजेंडर एक ऐसी समुदाय है जो संभावित रूप से अपनी जन्मजात लिंग से अलग होते हुए अपनी अस्तित्व को समझने के बाद अपनी पहचान बदलते हैं। ये लोग अपने शरीर, स्वभाव और सम्बन्धों को अपनी असली खुद की पहचान से मेल खाते हैं। ये समुदाय अक्सर समाज के दूसरे लोगों द्वारा नापसंद माने जाते हैं, लेकिन अब ऐसे लोगों को समाज द्वारा स्वीकार किया जा रहा है और उन्हें भी समाज के सदस्य के रूप में सम्मान दिया जाना चाहिए।
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Transgender kya hota hai?
Ans- ट्रांसजेंडर एक ऐसा व्यक्ति होता है जो अपनी जन्मजात लिंग से अलग होते हुए अपनी पहचान बदलता है। इस समुदाय के लोग अक्सर समाज के दूसरे लोगों द्वारा नापसंद माने जाते हैं।
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भारत में पहली ट्रांसजेंडर आईएएस अधिकारी कौन है?
Ans- भारत में पहली ट्रांसजेंडर आईएएस अधिकारी का नाम आनुषा गुप्ता है। वह 2018 में मध्य प्रदेश कैडर में शामिल हुई थीं। आनुषा गुप्ता ने अपने समाज के लिए जागरूकता फैलाने के लिए कई अभियान चलाए हैं और उन्होंने अपनी संघर्षपूर्ण कहानी को दुनिया के सामने रखकर लोगों को प्रेरित किया है। उन्होंने अपनी प्रतिभाओं और मेहनत के बल पर अपने सपनों को साकार किया और आज वे अपने फैसलों से समाज में बदलाव लाने के लिए सक्रिय रूप से काम कर रही हैं।
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भारत में कितने प्रतिशत ट्रांसजेंडर है?
Ans- इसके बारे कोई एक ठोस जानकारी नही है, लेकिन 2011 की जनगणना के अनुसार, भारत में लगभग 4,87,803 हिजड़े हैं, और आज के समय यह आकड़ा काफी ज्यदहो सकता है।
निष्कर्ष- आज हमने क्या सिखा-
आज के इस लेख में हमने ट्रांसजेंडर क्या होता है, और “transgender meaning in hindi” के बारे में पूरी जानकारी काफी सरल भाषा मे दी है, यदि आपको इस लेख से कुछ नया सिखने को मिला है, तो इसे अपने दोस्तों के साथ अवश्य शेयर करे
ताकि हर किसी को ट्रांसजेंडर क्या होता है, और transgender का मतलब क्या होता है, यह अच्छे से समझ में आ जाए, यदि आप इस ब्लॉग पर नए आये है, और इस तरह का लेख पढना पढना पसंद करते है, इस ब्लॉग को बूकमार्क करना ना भूले धन्यवाद