Kabir das ka janm kab hua tha। कबीर दास का जन्मस्थान कहाँ है।

आज के समय में कबीरदास को कौन नही जानता होगा, लेकिन क्या किसी को kabir das ka janm kab hua tha और kabirdas ka janm kahan hua tha इसके बारे में पता है।

यदि नही तो आपने बहुत सही जगह पर विजिट किया है, क्योकि आज के इस लेख में हम kabir das ka janm kab hua tha और कबीर दास किस देश के थे, इसके बारे में विस्तार से जानेंगे

बहुत कम लोगो को पता है, कि कबीरदास अपने जमाने के एक रहस्यवादी कवी थे, जिन्होंने भारत देश में रहकर एक से बढ़कर एक रचना की है, और वे हिन्दी साहित्य के भक्तिकाल के निर्गुण शाखा के ज्ञानमर्गी उपशाखा के महानतम कवि हैं।

इनकी रचनाओं ने हिन्दी प्रदेश के भक्ति आंदोलन को गहरे स्तर तक प्रभावित किया। उनकी रचनाएँ सिक्खों के आदि ग्रंथ में सम्मिलित की गयी हैं।

Kabir das ka janm kab hua tha। कबीरदास का जन्म कब हुआ था।

कबीर दास का जन्म कब हुआ था, इसके बारे में कई सारे मतभेद है, लेकिन कुछ विद्वानों के अनुसार कबीरदास का जन्म 14वीं-15वीं शताब्दी के बिच में हुआ था, और इनका जन्म स्थान बनारस है, जिसे आज के समय में वाराणसी के नाम से जानते है।

आपको बता दे, कि एक मान्यता के अनुसार कबीर दास का जन्म सन 1398 (संवत 1455), में ज्येष्ठ मास की पूर्णिमा को ब्रह्ममूहर्त के समय हुआ था।उनकी इस लीला को उनके अनुयायी कबीर साहेब प्रकट दिवस के रूप में मनाते हैं।

kabir-das-ka-janm-kab-hua-tha

kabirdas ka janm kahan hua tha। कबीरदास का जन्म कहां हुआ था।

इसके पहले हमने ऊपर हमने कबीरदास का जन्म कब हुआ था, इसके बारे में जानकरी दी है, आईये अब कबीरदास का जन्म कहा पर हुआ था, इसके बारे में जानते है।

कबीरदास का जन्म काशी में हुआ था, जिसे आज हम वाराणसी के नाम से जानते है, और कबीरदास ने अधिक करके अपनी सारी रचनाये यही पर पूरी की है, हलाकि कुछ वर्षो तक यह वृन्दावन में भी रहे थे।

कबीरदास की भाषा क्या थी।

क्या किसी को पता है, कि आज से 600 साल पहले कौन सी भाषा बोली जाती थी, यदि नही तो बने रहिये, इस लेख के नट यहा पर हम कबीरदास ने किस भाषा में रचना की है, इसके बारे में हम जानेगे।

कबीर की मुख्य भाषा सधुक्कड़ी एवं पंचमेल खिचड़ी है। इनकी भाषा में हिंदी भाषा की सभी बोलियों के शब्द सम्मिलित हैं। जैसे- राजस्थानी, हरयाणवी, पंजाबी, खड़ी बोली, अवधी, ब्रजभाषा के शब्दों की बहुलता है।

और यही कारण है, कि इसके द्वारा लिखे सभी दोहे का मतलब हर किसी को आसानी से पता चल जाता है, ऐसा माना जाता है की रमैनी और सबद में ब्रजभाषा की अधिकता है, तो साखी में राजस्थानी व पंजाबी में खड़ी बोली की मिलात है।

कबीर दास की मुख्य रचना व ग्रन्थ कौन-कौन से है।

क्रमांक रचना लेखक
1- कबीर शब्दावली कबीर दास
2- कबीर दोहावली कबीर दास
3- कबीर सागर कबीर दास
4- कबीर ग्रंथावली कबीर दास
5- सबद कबीर दास
6- साखी कबीर दास
7- रमैनी कबीर दास

कबीर दास का धर्म के प्रति विचार-

कबीर दास मूर्तिपूजा, रोज़ा, ईद, मस्जिद, मंदिर पर विश्वास नही रखते थे, कबीर परमेश्वर एक ही ईश्वर को मानते थे और कर्मकाण्ड के घोर विरोधी थे। कबीर साहेब जी के यहाँ साधु संतों का जमावड़ा रहता था।

कबीर साहेब जी ने कलयुग में पढ़े-लिखे ना होने की लीला की, परंतु वास्तव में वे स्वयं विद्वान है। इसका अंदाजा आप उनके दोहों से लगा सकते हैं.

जैसे-  मसि कागद छुयो नहीं, कलम गही नहिं हाथ। ‘उन्होंने स्वयं ग्रंथ ना लिखने की भी लीला तथा अपने मुख कमल से वाणी बोलकर शिष्यों से उन्हे लिखवाया।

कबीर दास के मुख्य दोहे-

हरिमोर पिउ, मैं राम की बहुरिया’ तो कभी कहते हैं, ‘हरि जननी मैं बालक तोरा’।

बड़ा हुआ तो क्या हुआ जैसे पेड़ खजूर। पंछी को छाया नहीं फल लागे अति दूर ॥

‘पाहन पूजे हरि मिलैं, तो मैं पूजौं पहार।

वा ते तो चाकी भली, पीसी खाय संसार।।’

कबीर माया पापणी, फंध ले बैठी हटी ।

सब जग तौं फंधै पड्या, गया कबीरा काटी ॥

 

पानी केरा बुदबुदा, अस मानस की जात ।

एक दिना छिप जाएगा, ज्यों तारा परभात ।।

 
 
 

माला फेरत जुग भया, फिरा न मन का फेर।

कर का मनका डार दे, मन का मनका फेर।।

 
 

मानुष जन्म दुर्लभ है, मिले न बारम्बार ।

तरवर से पत्ता टूट गिरे, बहुरि न लागे डारि ।।

 
 

जाति न पूछो साधु की, पूछ लीजिए ज्ञान।

मोल करो तलवार का, पड़ी रहन दो म्यान ।।

कबीर,हाड़ चाम लहू ना मेरे, जाने कोई सतनाम उपासी।

तारन तरन अभय पद दाता, मैं हूं कबीर अविनाशी।।

कबीर, पत्थर पूजें हरि मिले तो मैं पूजूँ पहार।

तातें तो चक्की भली, पीस खाये संसार।।

क्या मांगुँ कुछ थिर ना रहाई, देखत नैन चला जग जाई।

एक लख पूत सवा लख नाती, उस रावण कै दीवा न बाती।

कबीरदास से सम्बंधित पूछे जाने वाले प्रश्न-

  1. kabirdas ka janm kahan hua tha?

    Ans- कबीरदास के जन्मस्थान के संबंध में तीन मत हैं : मगहर, काशी और आजमगढ़ में बेलहरा गाँव।

  2. kabir ki mrutyu kahan hui thi?

    Ans- कबीर दास की मृत्यु सन 1518 के लगभग हुई थी।

  3. कबीरदास की मृत्यु कहा पर हुई थी?

    Ans- कबीरदास की मृत्यु मगहर उत्तर प्रदेश में हुई थी।

  4. कबीर दास के कितने बच्चे थे?

    Ans- कबीरदास के दो बच्चे थे, जिनका नाम कमला, कमली था।

  5. कबीर दास की मुख्य रचनांए कौन-कौन सी है?

    Ans- कबीरदास की मुख्य रचनांए- कबीर के दोहे,  कबीर के पद,  कबीर, ग्रंथावली,  बीजक,  साखी, सबद,  रमैनी,  कबीर -हज़ारी प्रसाद द्विवेदी, कबीर की परिचई है।

आखिरी शब्द- आज हमने क्या सिखा-

मने अपने इस आज के लेख में आप सभी को kabir das ka janm kab hua tha और kabirdas ka janm kahan hua tha इसके बारे में जानकारी दी है,

और इसी के साथ में कबीरदास से सम्बंधित कुछ सवालों के जवाब दिए है, जिसे आप इस लेख में पढ़ सकते है।

यदि आपको कबीरदास से सम्बंधित जानकारी पसंद आई है, तो इसे अपने सोशल मिडिया पर शेयर करे, और अन्य किसी भी जानकारी के लिए निचे कमेंट बॉक्स में कमेंट करे।

यदि आप इस ब्लॉग पर नए आये है, तो इस www.visiontechindia.com ब्लॉग को बुकमार्क करना ना भूले, क्योकि यहा पर एजुकेशन, बिज़नेस आईडिया और ऑनलाइन पैसे कमाए, इन सभी टॉपिक पर जानकारी शेयर की जाती है।

इनके बारे में भी पढ़े-

Leave a Comment

error: Content is protected !!