Telephone ka avishkar kisne kiya। यहाँ नाजे सम्पूर्ण जानकारी।

नमस्कार दोस्तों कैसे आप लोग, आज के इस लेख में हम Telephone ka avishkar kisne kiya है, इसके बारे में जानने वाले है, बहुत से लोगो को आज भी Telephone ka avishkar kisne kiya है। यह अच्छे तरीके से नही पता होगा, लेकिन इस लेख को पढ़ने के बाद किसी को टेलीफोन के अविष्कारक का नाम पता चल जायेगा आज के टेक्नोलॉजी की दुनिया में बहुत से ऐसे आविष्कार हुए है। जिसका अनुमान लगाना भी बहुत मुश्किल है, इन्ही में से एक टेलिफोन भी है, आज से काफी साल पहले इस यंत्र का आविष्कार हुआ था, जो की आज के समय में सबसे बड़ा आविष्कार है, बहुत से लोग केवल स्मार्टफोन का इस्तेमाल करना चाहते है। लेकिन वह यह नही जानते है, कि जिस स्मार्टफोन को वह इस्तेमाल कर रहे है, उससे पहले टेलीफोन हुआ करता है, जिससे देश दुनिया में बातचीत की जाती थी, और आज के इस लेख में हम टेलीफोन का अविष्कार किसने किया, और टेलीफोन का जनक किसे कहा जाता है। इसके बारे में पूरी जानकारी देने वाले है लेकिन आप लोगो से एक निवेदन है, कि यदि आप लोग इस ब्लॉग पर आये है, इस ब्लॉग पोस्ट को अंत तक जरुर पढ़े, अन्यथा आप टेलीफोन से सम्बंधित बहुत सी महत्वपूर्ण जानकारियाँ मिस कर देंगे। इनके बारे में भी पढ़े-  telephone-ka-avishkar-kisne-kiya

Telephone ka avishkar kisne kiya। टेलीफोन का आविष्कार किसने किया था।

टेलीफोन का आविष्कार अलेक्जेंडर ग्राहम बेल (Alexander Graham Bell) ने टॉमस वॉटसन के साथ मिलकर 2 जून, 1875 में किया था। टेलीफोन और आज के समय में पूरी दुनिया में अलेक्जेंडर ग्राहम बेल का नाम टेलीफोन के अविष्कारक के रूप में जाना जाता है। बहुत कम लोग ही यह जानते हैं कि ग्राहम बेल ने न केवल टेलीफोन, बल्कि कम्युनिकेशन टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में कई और भी उपयोगी आविष्कार किए हैं। ऑप्टिकल-फाइबर सिस्टम, फोटोफोन, बेल और डेसिबॅल यूनिट, मेटल-डिटेक्टर आदि के आविष्कार भी  अलेक्जेंडर ग्राहम बेल के द्वारा किया गया है। यह भी टेलीफोन की तुलना में काफी इस्तेमाल किये जाने वाले यंत्र है, इनका भी इस्तेमाल आज के समय काफी किया जाता है, लेकिन ये सभी ऐसी तकनीक पर आधारित हैं, जिसके बिना संचार-क्रंति की कल्पना भी नहीं की जा सकती है।

Alexander Graham Bell कौन थे।

अलेक्जेंडर ग्राहम बेल का जन्म स्कॉटलैण्ड के एडिनबर्ग में 3 मार्च सन 1847 को हुआ था। ग्राहम बेल के पिता एक प्रोफेसर थे जबकि उनकी माँ एक गृहिणी थीं। ग्राहम बेल की माँ और पत्नी दोनों बहरे थे, और यही कारण था, कि ग्राहम बेल काफी दुखी और निराश रहते थे। लेकिन अपनी निराशा को उन्होंने कभी अपनी सफलता की राह में रुकावट नहीं बनने दिया। उन्होंने अपनी निराशा को एक सकारात्मक मोड देना ही बेहतर समझा। यही कारण था कि वे ध्वनि विज्ञान की मदद से न सुन पाने में असमर्थ लोगों के लिए ऐसा यंत्र बनाने में कामयाब हुए, जो आज भी बहरे लोगों के लिए किसी वरदान से कम नहीं है। अलेक्जेंडर ग्राहम बेल एक इसे वैज्ञानिक थे, जिन्होंने टेलीफोन के आविष्कार के बाद ही प्रसिद्धि प्राप्त की लेकिन वह यहा भी अपने कदम को रोका नही,  इसके बाद भी इस दुनिया को उन्होंने अन्य कई आविष्कार करके दिए, जिसमे मेटल डिटेक्टर, ऑडियोमीटर, फोटोफोन, हाइड्रोफिल और एयरोनॉटिक्स शामिल थे। और पढ़े- 

Alexander Graham Bell कहा तक पढ़े थे-

अलेक्जेंडर ग्राहम बेल जब छोटे थे, तब वह अपने भाइयो की ही तरह थे, उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा घर पर ही अपने पिता से ही ग्रहण की थी। अल्पायु में ही उन्हें स्कॉटलैंड के एडिनबर्घ की रॉयल हाई स्कूल में डाला गया था और 15 साल की उम्र में उन्होंने वह स्कूल छोड़ दी थी। उस समय उन्होंने पढाई के केवल 4 विषयो में की थी, लेकीन उन्हें विज्ञान में बहुत रूचि थी, ज्यादातर वह जीवविज्ञान में अपनी रूचि ज्यादा दिखाते थे, जबकि दुसरे विषयो में वे ज्यादा ध्यान नही देते थे। स्कूल छोड़ने के बाद बेल अपने दादाजी एलेग्जेंडर बेल के साथ रहने के लिये लन्दन चले गये थे। जब बेल अपने दादा के साथ रह रहे थे तभी उनके अंदर पढने के प्रति अपना प्यार जागृत हुए और तभी से वे घंटो तक पढाई करते थे। युवा बेल ने बाद में अपनी पढाई में काफी ध्यान दिया था। उन्होंने अपने युवा छात्र दृढ़ विश्वास के साथ बोलने के लिये काफी कोशिशे भी की थी। और उन्होंने जाना की उनके सभी सहमित्र उन्होंने एक शिक्षक की तरह देखना चाहते है और उनसे सीखना चाहते है। 16 साल की उम्र में ही बेल वेस्टन हाउस अकैडमी, मोरे, स्कॉटलैंड के वक्तृत्वकला और संगीत के शिक्षक भी बने। इसके साथ-साथ वे लैटिन और ग्रीक के विद्यार्थी भी थे। इसके बाद बेल ने एडिनबर्घ यूनिवर्सिटी भी जाना शुरू किया, और वही अपने भाई मेलविल्ले के साथ रहने लगे थे। 1868 में अपने परिवार के साथ कनाडा शिफ्ट होने से पहले बेल ने अपनी मेट्रिक की पढाई पूरी कर ली थी और फिर उन्होंने लन्दन यूनिवर्सिटी में एडमिशन लिया था।

भारत में टेलीफोन कब आया था।

1880 में, दो टेलीफोन कंपनियों ने-  द ओरिएंटल टेलीफोन कंपनी लिमिटेड और एंग्लो इंडियन टेलीफोन कंपनी लिमिटेड ने भारत में टेलीफोन एक्सचेंज की स्थापना करने के लिए भारत सरकार से संपर्क किया। इस अनुमति को इस आधार पर अस्वीकृत कर दिया गया कि टेलीफोन की स्थापना करना सरकार का एकाधिकार था और सरकार खुद यह काम शुरू करेगी। 1881 में, सरकार ने अपने पहले के फैसले के खिलाफ इंग्लैंड की ओरिएंटल टेलीफोन कंपनी लिमिटेड को कोलकाता, मुम्बई, चेन्नई (मद्रास) और अहमदाबाद में टेलीफोन एक्सचेंज खोलने के लिए एक लाइसेंस दिया। जिससे 1881 में देश में पहली औपचारिक टेलीफोन सेवा की स्थापना हुई। 28 जनवरी 1882, भारत के टेलीफोन के इतिहास में रेड लेटर डे है। इस दिन, भारत के गवर्नर जनरल काउंसिल के सदस्य मेजर ई. बैरिंग ने कोलकाता, चेन्नई और मुंबई में टेलीफोन एक्सचेंज खोलने की घोषणा की। कोलकाता के एक्सचेंज का नाम “केन्द्रीय एक्सचेंज” था जो 7, काउंसिल हाउस स्ट्रीट इमारत की तीसरी मंजिल पर खोला गया था। केन्द्रीय टेलीफोन एक्सचेंज के 93 ग्राहक थे। बॉम्बे में भी 1882 में टेलीफोन एक्सचेंज का उद्घाटन किया गया।

टेलीफोन से सम्बंधित पूछे जाने वाले प्रश्न

आखिरी शब्द- आज हमने क्या सिखा-

आज के इस लेख की मदद से हमने Telephone ka avishkar kisne kiya, टेलीफोन का आविष्कार किसने किया, और टेलीफोन का आविष्कार कब हुआ था, और इसी के साथ में हमने टेलीफोन के अविष्कारक के बारे में कुछ रोचक जानकारी दी है

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