google yadav ko kabu kaise kare:- गूगल पर लोग हमेशा कुछ न कुछ सर्च करते है, जिनमे से एक सवाल यह है, की (google yadav ko kabu kaise kare) ‘यादव को काबू कैसे करे‘ भारत के अन्दर इतनी जाति है, की इन सब का अनुमान लगाना मुश्किल है.
इनमे से ही एक जाती है, “यादव” इनका भी एक प्रचंड इतिहास है, और इस जाति का उल्लेख पुराणों सहित कई कालो में मिलता है, आज के समय में भी यादवो की संख्या बहुत है, यह उत्तरी छेत्र में अत्यधिक निवास करते है. आज हम यादवो के पुरे इतिहास के बारे में आप लोगो को जानकारी प्रदान करेंगे.
हेलो गूगल- यादव को काबू कैसे करें(yadav ke kabu kaise karen) इसके बारे में बताओ-
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मै झुक नही सकता मै शौर्य का अखंड भाग हूँ
जला दे जो दुश्मन की रूह तक, मै वाही यादव की औलाद हूँ ,
हमारी जोर का अंदाजा हमारी शोर से नही
हमारी जोर से लगता है #अहीर रेजिमेंट
यादवो को काबू में करना मुनकिन नही, नामुनकिन है,
क्योकि इनका इतिहास कलम से नही तलवारों से लिखा गया है,
जब तक माथे पर लाल रंग नहीं लगता
यादव किसी को तंग नहीं करता,
सर चढ़ जाती है ये दुनिया भूल जाती है कि,
#यादव की तलवार को कभी जंग नहीं लगता
पुरस्कृत यादव सैनिको के नाम
कुछ ऐसे सवाल सवाल जिनके बारे अत्यधिक गूगल पर सर्च करते है, जैसे यादव को काबू कैसे करे (yadav ko kabu kaise kare) तथा यादवो का इतिहास क्या है, आज हम इस आर्टिकल के माध्यम से आप लोगो को यादवो के इतिहास के बारे में पूरी जानकारी देने वाले है, इसके लिए आप इस आर्टिकल को ध्यान पूर्वक पढ़े.
इनके बारे में जाने-
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यादवो का नाम पौराणिक कथाओं में
हम सभी को पता है की यादव शब्द की व्याख्या ‘यदु के वंशज’ से की गई है, जो कि एक पौराणिक राजा थे, बहुत व्यापक सामान्यताओं का उपयोग करते हुए, जयंत गडकरी कहते हैं कि पुराणों के विश्लेषण से यह लगभग निश्चित है कि अंधका वृष्णि सातवात और आभीर को सामूहिक रूप से यादवों के रूप में जाना जाता था और वह कृष्ण की पूजा करते थे।
यादव का मूल व्यवसाय
यादव शब्द कई उपजातियों को आच्छादित करता है जो मूल रूप से अनेक नामों से जानी जाती है, जैसे-
- हिन्दी क्षेत्र, पंजाब व गुजरात में- अहीर,
- महाराष्ट्र, गोवा में – गवली,
- आंध्र व कर्नाटक में- गोल्ला, तमिलनाडु में – कोनर,
- केरल में – मनियार,
- जिनका सामान्य पारंपरिक कार्य कृषि चरवाहे, गोपालक व दुग्ध-विक्रेता का था
अधिकांश यादव आज भी खेती करने वाले हैं, और एक तिहाई से भी कम आबादी मवेशियों या दूध के व्यवसाय में लिप्त है, एम. एस. ए. राव ने भी जाफरलॉट के जैसी ही राय व्यक्त की और कहा कि मवेशियों के साथ पारंपरिक जुड़ाव, यदु के वंश का होने में विश्वास, यादव समुदाय को परिभाषित करता है।
यादवो की सैन्य ताकत (yadav ko kabu me kaise kare)
अहीर एक एतिहासिक पृष्टभूमि की जंगी नस्ल है, 1920 में अंग्रेजों द्वारा अहीरों को “किसान जाति” के रूप में वर्गीकृत किया गया था जो उस समय “योद्धा जाति” का परिचय यादव नाम से था, यादव लंबे समय से सेना में भर्ती हो रहे हैं,
बात उस समय की है जब ब्रिटिश सरकार ने तब अहिरो की चार कंपनियों का निर्माण किया.
जिनमें से दो 95वीं रसेल इन्फैंट्री में थीं। और 1962 के भारत-चीन युद्ध के दौरान 13वीं कुमाऊं रेजीमेंट की अहीर कंपनी द्वारा रेजांगला मोर्चे पर यादव सैनिकों की वीरता और बलिदान की आज भी भारत में प्रशंसा की जाती है।
और यादवो उनकी वीरता की याद में युद्ध स्थल स्मारक का नाम “अहीर धाम” रखा गया। वह भारतीय सेना की राजपूत रेजिमेंट, कुमाऊं रेजिमेंट, जाट रेजिमेंट, राजपुताना राइफल्स, बिहार रेजिमेंट, ग्रेनेडियर्स में भी भागीदार हैं। अहिरो के एकल सैनिक अभी भी भारतीय सशस्त्र बलों में बख्तरबंद कोनों और तोपखाने में मौजूद हैं।
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पुरस्कृत यादव सैनिको के नाम-
- कैप्टन योगेन्द्र सिंह यादव ,परम वीर चक्र
- नवल कमांडर बी. बी। यादव, महावीर चक्र
- लांस नायक चंद्रकेत प्रसाद यादव, वीर चक्र
- मेजर जनरल जय भगवान सिंह यादव, वीर चक्र
- विंग कमांडर कृष्ण कुमार यादव, वीर चक्र
- नायक गणेश प्रसाद यादव, वीर चक्र
- नायक कौशल यादव, वीर चक्र
- जगदीश प्रसाद यादव, अशोक चक्र (मरणोपरांत)
- सुरेश चंद यादव, अशोक चक्र (मरणोपरांत)
- स्क्वाड्रन लीडर दीपक यादव, कीर्ति चक्र (मरणोपरांत)
- सूबेदार महावीर सिंह यादव, अशोक चक्र (मरणोपरांत)
- पायनियर महाबीर यादव, शौर्य चक्र (मरणोपरांत)
- पैराट्रूपर, सूबे सिंह यादव, शौर्य चक्र
- नायक सूबेदार राम कुमार यादव, शौर्य चक्र (मरणोपरांत)
- सैपर आनंदी यादव, इंजीनियर्स, शौर्य चक्र (मरणोपरांत)
- नायक गिरधारीलाल यादव, शौर्य चक्र (मरणोपरांत)
- हरि मोहन सिंह यादव, शौर्य चक्र
- कैप्टन वीरेंद्र कुमार यादव, शौर्य चक्र
- पैटी अफसर महिपाल यादव, शौर्य चक्र
- कैप्टन बबरू भान यादव, शौर्य चक्र
- मेजर प्रमोद कुमार यादव, शौर्य चक्र
- रमेश चंद्र यादव, शौर्य चक्र
- मेजर धर्मेश यादव, शौर्य चक्र
- लेफ्टिनेंट मानव यादव, शौर्य चक्र
- मेजर उदय कुमार यादव, शौर्य चक्र
- कैप्टन कृष्ण यादव, शौर्य चक्र
- कैप्टन सुनील यादव, शौर्य चक्र
- यादव अर्बेशंकर राजधारी, शौर्य चक्र
- कमलेश कुमारी अशोक चक्र संसद भवन हमला 2001
यादव को काबू कैसे करे (yadav ko kabu kaise kare)
श्री कृष्ण जी के #वंशज है हम #यदुवंशी कहलावें,
#यादव ने दुनिया में #शेर कहके #बुलावें !
हम #यादव चीते हैं #दुश्मनों का खून पी कर जीते हैं
#जय यादव #जय माधव
#यादव की ताकत से पूरा #ब्रह्ममाड डोलता है,
ये हम नहीं हमारा #इतिहास बोलता है जय #यदुवंशी.
#यादव वो नहीं। जो दुनिया को सलाम करेंगे,
#यादव तो वो है। जिसे एक दिन दुनिया सलाम करेगी.
जय #यादव जय #माधव
यादवो में (आल्हा और उदल) का इतिहास
एक ऐसे योद्धा जो यादव थे, और अपनी पूरी ज़िन्दगी में उन्होंने कभी भी हार नही देखि, आल्हा और ऊदल चंदेल राजा परमाल की सेना के एक सफल सेनापति दशराज के पुत्र थे, जिनकी उत्पत्ति बनाफर अहीर जाति से हुई थी,
वे बाणापार बनाफ़र अहीरों के समुदाय से ताल्लुक रखते थे। और वे पृथ्वीराज चौहान और माहिल जैसे राजपूतों के खिलाफ लड़ते थे । भविष्य पुराण में कहा गया है कि न केवल आल्हा और उदल के माता पिता अहीर थे, बल्कि बक्सर के उनके दादा दादी भी अहीर थे।
ऐतिहासिक यादव (अहीर) राजा और कबीले प्रशासक
- पूरनमल अहीर, अहीर देश, मालवा, म.प्र.
- ठकुराइन लराई दुलाया, नायगांव रिबाई, एम.पी.
- ठाकुर लक्ष्मण सिंह, नायगांव रिबाई, म.प्र.
- कुंवर जगत सिंह, नायगांव रिबाई, म.प्र.
- लालजी, देवगुर्डिया, मालवा, म.प्र.
- चूरामन अहीर, मंडला, म.प्र.
- राव गुजरमल सिंह, रेवाड़ी, अहिरवाल
- राव तेज सिंह, रेवाड़ी
- राव गोपालदेव सिंह, रेवाड़ी, अहिरवाल
- महाक्षत्रप ईश्वर दत्त, प्राचीन पश्चिम भारत
- प्राण सुख यादव, निमराना, अहीरवाल
- रुद्रमूर्ति अहीर, अहिरवाड़ा, झांसी, यू.पी.
- राजा बुद्ध, बदायूं, उ.प्र.
- आदि राजा, अहिछत्र, उ.प्र.
- राजा दिग्पाल, महाबन, यू.पी.
- राणा कतीरा, चित्तौड़, राजस्थान
- वीरसेन अहीर, जलगाँव, महाराष्ट्र
क्या सिखा- आज हमने अपने इस लेख के माध्यम से आप लोगो को यादव को काबू कैसे करे (yadav ko kabu kaise kare) तथा यादवो के पुरे इतिहास के बारे में जानकारी दी है.
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